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हल्दी | इसके फायदे और प्रयोग

  हल्दी | इसके फायदे और प्रयोग:


1. लीवर की तकलीफों से निजात पाने के लिए हल्‍दी बेहद उपयोगी होती है। यह रक्त दोष दूर करती है। हल्‍दी नैसर्गिक तौर पर ऐसे एन्‍जाइम्‍स का उत्‍पादन बढ़ाती है जिससे लीवर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है।
2. कई शोध के बाद वैज्ञानिकों ने हल्दी को अल्जाइमर बीमारी से लड़ने में सक्षम घोषित किया है। हल्दी में मौजूद डाईफेरुलो मीथेन (Diferuloylmethane) नामक तत्व सूजन को कम करता है और साथ ही न्यूरॉन्स के आसपास अत्यधिक एमीलोयड पट्टिका के पतन को रोकता है।
3. दाग-धब्‍बे और झाइयां हटाने में हल्‍दी का कोई सानी नहीं। हल्दी और काले तिल को बराबर मात्रा में पीसकर पेस्ट बनाकर लगाने से त्‍वचा साफ और निखरी हो जाती है। हल्‍दी और दूध से बना पेस्‍ट भी त्‍वचा का रंग निखरने और चेहरे को खिला-खिला रखने के लिए बहुत असरदार होता हैं।
4.  हल्दी  (turmeric) को गर्म दूध में मिलाकर पीने से घाव, नीलापन और मोच के दर्द में आराम मिलता है। इसके सेवन से सूजन भी कम होती है। कटे और खरोंच के निशान को धोकर उस पर सूखी हल्दी लगाने से निशान जल्दी भरते हैं।
5. शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करती है हल्‍दी। इससे शरीर कई बीमारियों से बचा रहता है। हल्‍दी में पाया जाने वाला लिपोपोलिसेकराईड तत्‍व हमारे इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत बनाकर बीमारियों से हमारी रक्षा करता है। साथ ही इसमें एन्‍टी बैक्‍टीरियल, एंटी वायरल और एंटी फंगल गुण भी विशेष रूप से पाए जाते है।
6. कीमो- रक्षात्मक गुण (Chemoprotective properties) होने के कारण हल्दी पेट के कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, टी-सेल ल्यूकेमिया और स्तन कैंसर के इलाज में कारगर है।
7. हल्दी (Haldi) रोगक्षमता को बढ़ाने में सहायक है। हल्दी का उपयोग आर्थ्राइटिस की बीमारी से बचने के लिए किया जाता है। हल्दी में सूजन को कम करने की क्षमता होती है और एंटी- ऑक्सीडेटिव तत्व होते हैं जो गठिया की बीमारी में बेहद फायदेमंद साबित होते हैं।
8. हल्दी में पाया जाने वाले करक्यूमिन नामक तत्‍व के कारण कैथेलिसाइडिन एंटी माइक्रोबियल पेप्टाइड (सीएएमपी) नामक प्रोटीन की मात्रा बढ़ती है। सीएएमपी प्रोटीन शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। यह प्रोटीन बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में शरीर की मदद करता है।
9. मधुमेह के दौरान हल्दी (Haldi) का सेवन लाभदायक होता है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन (curcumin) इंसुलिन के स्तर को सीमित रखता है और एंटी-डाइबिटिक ड्रग्स के प्रभाव को बढ़ाता है। एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण हल्दी इंसुलिन के प्रतिरोध को कम कर देता है।
10. मसाले के रूप में प्रयोग की जाने वाली हल्‍दी का सही मात्रा में प्रयोग पेट में जलन एवं अल्‍सर की समस्‍या को दूर करने में बहुत ही लाभकारी होता है। हल्दी का पीला रंग कुरकमिन नामक अवयव के कारण होता है और यही चिकित्सा में प्रभावी होता है। चिकित्सा क्षेत्र के मुताबिक कुरकमिन पेट की बीमारियों जैसे जलन एवं अल्सर में काफी प्रभावी रहा है।
11. करक्यूमिन (curcumin) और वाष्पशील तेल की मौजूदगी के कारण हल्दी खांसी और सर्दी से लड़ने में सहायक है। गरम दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर  पीने से गले में खराश या खांसी से बचा जा सकता है।
12. दांतों की स्‍वस्‍थ और मसूड़ों को मजबूत बनाने के लिए हल्‍दी का प्रयोग करें। इसके लिए थोड़ी सी हल्‍दी, नमक और सरसों का तेल लेकर मिला लें। अब इस मिश्रण से दांतों और मसूड़ों में अच्‍छे से मसाज करें। इस उपाय से सूजन दूर होती है और दांत के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
13. चोट लगने पर हल्‍दी बहुत फायदा करती है। मांसपेशियों में खिंचाव होने पर या अंदरूनी चोट लगने पर हल्‍दी मिला गर्म दूध पीने से दर्द और सूजन में तुरन्‍त राहत मिलती है। चोट पर हल्दी और पानी का लेप लगाने से भी आराम मिलता है।
14. खांसी में हल्‍दी की गांठ का इस्‍तेमाल करें। अगर एकदम से खांसी आने लगे तो हल्दी की एक छोटी सी गांठ मुंह में रख कर चूसें, इससे खांसी नहीं आएगी। खांसी के साथ कफ की समस्या होने पर एक गिलास गर्म दूध में एक-चौथाई चम्मच हल्दी मिलाकर पीना फायदेमंद है।

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