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पालक के फायदे

1. इसमें पाए जाने वाले तत्वों में मुख्य रूप से कैल्शियम, सोडियम, क्लोरीन, फास्फोरस, लोहा, खनिज लवण, प्रोटीन, श्वेतसार, विटामिन 'ए' एवं 'सी' आदि उल्लेखनीय हैं। इन तत्वों में भी लोहा विशेष रूप से पाया जाता है।

2. लौह तत्व मानव शरीर के लिए उपयोगी, महत्वपूर्ण, अनिवार्य होता है। लोहे के कारण ही शरीर के रक्त में स्थित रक्ताणुओं में रोग निरोधक क्षमता तथा रक्त में रक्तिमा (लालपन) आती है। लोहे की कमी के कारण ही रक्त में रक्ताणुओं की कमी होकर प्रायः पाण्डु रोग उत्पन्न हो जाता है।

3. लौह तत्व की कमी से जो रक्ताल्पता अथवा रक्त में स्थित रक्तकणों की न्यूनता होती है, उसका तात्कालिक प्रभाव मुख पर विशेषतः ओष्ठ, नासिका, कपोल, कर्ण एवं नेत्र पर पड़ता है, जिससे मुख की रक्तिमा एवं कांति विलुप्त हो जाती है। कालान्तर में संपूर्ण शरीर भी इस विकृति से प्रभावित हुए बिना नहीं रहता।

लोहे की कमी से शक्ति ह्रास, शरीर निस्तेज होना, उत्साहहीनता, स्फूर्ति का अभाव, आलस्य, दुर्बलता, जठराग्नि की मंदता, अरुचि, यकृत आदि परेशानियाँ होती हैं।

4. गर्मी का नजला, सीने और फेफड़े की जलन में भी यह लाभप्रद है। यह पित्त की तेजी को शांत करती है, गर्मी की वजह से होने वाले पीलिया और खाँसी में यह बहुत लाभदायक है।

5. पालक में लोहा काफी मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त इसमें पाए जाने वाले तत्वों में कैल्शियम, सोडियम, क्लोरीन, फास्फोरस, खनिज लवण, प्रोटीन, श्वेतसोर आदि मुख्य हैं।

6. पालक से रक्त शुद्धि एवं शक्ति का संचार होता है।

7.  पालक में विटामिन के की अच्छी मात्रा होती है. ऐसे में पालक का जूस पीने से हड्ड‍ियां मजबूत होती हैं.

8. पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने के लिए भी पालक का जूस पीने की सलाह दी जाती है. ये शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मददगार है. इसके अलावा अगर आपको कब्ज की समस्या है तो भी पालक का जूस आपके लिए फायदेमंद रहेगा.

9. अगर आपको त्वचा से जुड़ी कोई समस्या है तो पालक का जूस पीना आपके लिए फायदेमंद रहेगा. पालक का जूस पीने से त्वचा निखरी और जवान बनी रहती है.ये बालों के लिए भी अच्छा है.

10. गर्भवती महिलाओं को भी पालक का जूस पीने की सलाह दी जाती है. पालक का जूस पीने से गर्भवती महिला के शरीर में आयरन की कमी नहीं होती है.

11. कई अध्ययनों में कहा गया कि पालक में मौजूद कैरोटीन और क्लोरोफिल कैंसर से बचाव में सहायक हैं. इसके अलावा ये आंखों की रोशनी के लिए भी अच्छा है.

12. आयुर्वेद में

आयुर्वेद में इसे सुपाच्य, कफ कारक, मूत्रल, वातकारक, ठंडा, भारी, दस्तावर, ज्वर का पथ्य, उल्टी और वायुविकार नाशक माना गया है।
पालक में लौह तत्व की मात्रा अधिक होने के कारण इसको भोजन या रस के रूप् में लेने से रक्त में हीमोग्लोबिन की वृद्धि होने लगती है, जिससे कुछ ही दिनों में नए रूधिर का निमार्ण होता है और मुरझाए हुए चेहरे, बाल व नेत्र पुनः चमक उठते हैं।

शरीर में नया उत्साह, नई शक्ति-स्फूर्ति और जोश का संचार होता है।

पालक किंचित चरपरा, मधुर, पथ्यशीतल, पित्तनाशक और तृप्तिकारक है।

पालक यदि शारीरिक परिश्रम करने वालों को शक्ति प्रदान करता है तो मानसिक श्रम करने वालों के लिए भी अमृत तुल्य है।

पालक में पोषक तत्वों की प्रचुर मात्रा होने के कारण यह गर्भवती महिलाओं तथा कमजोर व कुपोषण जनित रोगियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इसके सेवन से कमजोर व्यक्ति पुनः स्वास्थ लाभ प्राप्त कर लेता है।

ऐसे रोगी जिनका पाचन तंत्र क्षीण है और जो अधिक भारी भोजन का प्रयोग करने में असमर्थ हैं, उन्हें पालक के सेवन से भोजन को पचाने व पाचन तंत्र को शक्ति प्राप्त करने में सहायता मिलती है।

इसका रस आमाशय व आंतों या उदर के अनेक रोगों में लाभकारी होता ही है, साथ ही साथ अम्ल-पित्त, अजीर्ण, बवासीर, पेट की वायु, कब्ज आदि रोगों पर नियंत्रण भी रहता है।


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